कोरोना से लड़ रहीं राज्य सरकारों में ओडिशा वह पहला प्रदेश बन गया है जहां लॉकडाउन की घोषणा 30 अप्रैल तक के लिए कर दी गई है.
राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने गुरुवार को यह ऐलान किया है. उन्होंने यह आदेश कैबिनेट की बैठक के बाद जारी किया है. इसी के साथ देशव्यापी 21 दिवसीय लॉकडाउन को बढ़ाने वाला ओडिशा पहला राज्य बन गया है. इसी के साथ सीएम नवीन पटनायक ने केंद्र ससरकार से यह अपील की है कि वह ट्रेन और हवाइ उड़ानों को अभी रद ही रहने दें. उन्होंने केंद्र को यह सलाह दी है कि 30 अप्रैल तक ट्रेन और प्लेन की आवाजाही को पूरी तरह से बंद रखा जाए. वहीं, स्कूल और शैक्षिक संस्थानों को 17 जून तक बंद करने का आदेश उन्होंने अपने प्रदेश में जारी किया है. बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, ओडिशा में अब तक कोरोना मरीजों की संख्या 42 पहुंच चुकी है. वहीं, एक मरीज इस बीमारी के कारण काल के गाल में समा गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 मार्च को जब लॉकडाउन की घोषणा की थी तब पूरे देश में आंकड़े मात्र 468 थे. उस समय इस महाबीमारी ने 9 लोगों की ज़िंदगी को शिकार बनाया था. वहीं, 34 मरीज़ ठीक होकर अपने परिवार के बीच लौट चुके थे. मगर अब हालात कुछ और हैं. इनकी संख्या काफी बढ़ गई है. अब हम तीन हजार का आंकड़ा पार करके चार हजारी होने की कगार पर आ रहे हैं. हालांकि, इस बीच मरीज ठीक भी हो रहे हैं. फिर भी जितनी तेजी से यह बीमारी लोगों को अपने पाश में बांध रही है उतनी तेजी से उनका इलाज़ नहीं हो पा रहा है. यकीनन, यह भयावह परिस्थिति है. यह मामला तब और डराता है जब यह दिखता है कि हमारे यहां चिकित्सा के माकूल इंतजामात नहीं हैं. हम विकसित देशों के मुकाबले कोरोना से लड़ने में अक्षम हैं. यूं तो यूरोप के दिग्गज देश भी अपने यहां इस बीमारी को हराने में घुटने टेक चुके हैं. इस नज़रिये से देखें तो यह समझना बहुत आसान है कि यदि हमारे यहां बीमारी काल का रूप ले लेगी तो उससे लड़ना बहुत मुश्किल हो जाएगा. यही कारण है कि भारत सरकार ने अपनी अर्थव्यवस्था को खतरे में डालकर लॉकडाउन करने जैसा मुश्किलों भरा फैसला लेकर सबको सुरक्षित करने का निर्णय लिया है. मगर कोरोना के बढ़ते आंकड़ों ने इस पूरी कवायद की सफलता पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं.