उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक गांव में दबिश करने पहुंची पुलिस टीम पर बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी.
उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक गांव में दबिश करने पहुंची पुलिस टीम पर बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. पुलिस उपाधीक्षक (DSP) और बिल्हौर थाना प्रभारी (सीओ) समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए हैं जबकि छह पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हैं. घायलों का इलाज कानपुर के ही रीजेंसी अस्पताल में चल रहा है.

इस सम्बंध में यूपी के डीजीपी एचसी अवस्थी ने बताया, “हिस्ट्रीशीटर विकास दूबे के खिलाफ धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. पुलिस इसी सिलसिले में उसे पकड़ने गई थी. मगर वहां जेसीबी लगा दी गई थी. जब पुलिस गाड़ी से उतरी तो बदमाश ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे. इसमें हमारे आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए. वहीं, सात लोग घायल हुए हैं.”

उन्होंने बताया कि मामले की गहनता से जांच करने के लिए आईजी, एडीजी और एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) को घटनास्थल पर रवाना कर दिया गया गया है. इस बीच अंधेरे बीच अंधेरे का फायदा उठाकर सभी बदमाश फरार हो गए. कानपुर से एक फोरेंसिक टीम मौके पर है और लखनऊ से एक विशेषज्ञ टीम भी वहां भेजी गई है.

अपराधियों के इस हमले में सीओ देवेंद्र कुमार मिश्र, एसओ महेंद्र यादव, चौकी इंचार्ज अनूप कुमार, सब इंस्पेक्टर नेबुलाल, कांस्टेबल सुलतान सिंह, राहुल, जितेंद्र और बबलू शहीद हुए हैं.

इस बारे में पूछने पर अपराधी विकास की मां सरला देवी ने कहा, “अच्छा होगा जब वह खुद सरेंडर कर दे. धोखे से भागता रहा तो पुलिस उसे तलाश करके एनकाउंटर में मार देगी. मैं तो कहती हूं कि उसे पहले पुलिस पकड़ ले फिर एनकाउंटर कर दे. उसने दूसरों का बहुत बुरा किया है.” उन्होंने बताया कि विकास पहले ऐसा नहीं था. उसने पीपीएन कॉलेज में पढ़ाई की थी. एयरफोर्स में नौकरी लग रही थी और फिर नेवी में लेकिन इसे गांव वालों और राजनीति ने बर्बाद कर दिया. वह 5 साल भारतीय जनता पार्टी में रहा क्योंकि हरिकिशन थे पार्टी में. कुछ समय के बाद हरिकिशन फिर बसपा में चले गए तो विकास वहां चला गया. फिर यह पांच साल से समाजवादी पार्टी में था.

डीजीपी अवस्थी के मुताबिक, इस पूरे मामले में STF को भी लगाया गया है. कानपुर STF भी लगी हुई है. आरोपियों पर बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है. पुलिस की यह दबिश उसी सिलसिले में दी गई थी.
इस सम्बंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि सभी आलाधिकारी जब तक ऑपरेशन विकास दुबे खत्म ना हो जाए तब तक घटनास्थल पर ही कैंप करें. कानपुर एनकाउंटर पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी है. साथ ही यूपी की योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है. यूपी डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी कानपुर में शहीद हुए पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि देने के लिए कानपुर पहुंच चुके हैं.
1. कानपूर में शातिर अपराधियों द्वारा एक भिड़न्त में डिप्टी एसपी सहित 8 पुलिसकर्मियों की मौत व 7 अन्य के आज तड़के घायल होने की घटना अति-दुःखद, शर्मनाक व दुर्भाग्यपूर्ण। स्पष्ट है कि यूपी सरकार को खासकर कानून-व्यवस्था के मामले में और भी अधिक चुस्त व दुरुस्त होने की जरूरत है। 1/2
— Mayawati (@Mayawati) July 3, 2020
उधर, बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘कानपुर में शातिर अपराधियों द्वारा मुठभेड़ में डीएसपी सहित 8 पुलिसकर्मियों की मौत व 7 अन्य के आज तड़के घायल होने की घटना अति-दुःखद, शर्मनाक व दुर्भाग्यपूर्ण है. स्पष्ट है कि यूपी सरकार को खासकर कानून-व्यवस्था के मामले में और भी अधिक चुस्त व दुरुस्त होने की जरूरत है.’
जातिवाद की राजनीति में अचूक हथियार है विकास
भारतीय राजनीति में अपराधियों और नेताओं का गठजोड़ कोई नई बात नहीं है. विकास 90 के दशक में जब इलाके में एक छोटा-मोटा बदमाश हुआ करता था तो पुलिस उसे अक्सर मारपीट के मामले में पकड़कर ले जाती थी. लेकिन उसे छुड़वाने के लिए स्थानीय रसूखदार नेता विधायक और सांसदों तक के फोन आने लगते थे. विकास को सत्ता का संरक्षण भी मिला और वह एक बार जिला पंचायत सदस्य भी चुना जा चुका था. उसके घर के लोग तीन गांव में प्रधान भी बन चुके हैं. अगर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो विकास के ऊपर कैबिनेट मंत्रियों तक का हाथ था.
कानपुर के जिस इलाकों से विकास का रिश्ता था. दरअसल वह ब्राह्मण बहुल इलाका है लेकिन यहां की राजनीति में पिछड़ी जातियों को नेता भी हावी थे. इस हनक को कम करने के लिए नेताओं ने विकास का इस्तेमाल किया. उधर विकास की नजर इलाके में बढ़ती जमीन की कीमतों और वसूली पर था. फिर क्या था यहीं से शुरू सत्ता के संरक्षण में विकास के आतंक की शुरुआत हुई. हालांकि बाद में उसका नाम कई ऐसे मामलों में सामने आया जिसमें निशाने पर अगड़ी जाति के भी नेता थे. दरअसल, तब तक विकास का आतंक बढ़ गया था और कई नेता जिनसे विकास की पटरी नहीं खाती थी वो उसके निशाने पर आ गए थे क्योंकि उस समय इलाके में जमीनों की कीमत बढ़ने लगी थी.