
29 मई को गीतकार योगेश गौर का निधन हुआ था जिन्होंने चटर्जी की फिल्मों में कई मशहूर गीत लिखे थे जिनमें ‘‘रजनीगंधा फूल तुम्हारे’’ और ‘‘ना जाने क्यों’’ शामिल हैं…
फिल्मजगत के लिए साल 2020 काफी बुरा माना जा रहा है. ‘‘रजनीगंधा’’ और ‘‘चितचोर’’ जैसी आम जनमानस से जुड़ी, हल्के-फुल्के अंदाज वाली फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले अनुभवी फिल्मनिर्माता (Film Director) बासु चटर्जी (Basu Chatterjee) का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण गुरुवार को निधन (Death) हो गया. वे 93 वर्ष के थे.
चटर्जी के परिवार में उनकी बेटियां सोनाली भट्टाचार्य और रूपाली गुहा हैं. सांताक्रूज स्थित अपने आवास पर उन्होंने नींद में ही अंतिम सांस ली. इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन (IFDTA) के अध्यक्ष अशोक पंडित ने मीडिया से कहा, ‘‘उन्होंने सुबह के समय नींद में ही शांति से अंतिम सांस ली. वह उम्र संबंधी दिक्कतों के कारण पिछले कुछ समय से ठीक नहीं थे और उनके आवास पर ही उनका निधन हुआ. यह फिल्म उद्योग के लिए भारी क्षति है.’’ पंडित ने बताया कि फिल्म निर्माता का अंतिम संस्कार सांता क्रूज श्मशान घाट पर किया जाएगा.
A master storyteller passed away today!! Learned the meaning of simple storytelling with fine nuances!! Thank you Basu Da for all the great stories!! Rest in peace sir!! #BasuChatterjee
— manoj bajpayee (@BajpayeeManoj) June 4, 2020
फिल्म उद्योग और अन्य क्षेत्रों के कई लोगों ने निर्देशक के निधन पर शोक जताया. चटर्जी ने मध्यम वर्ग और उसकी हर दिन की खुशियों और जद्दोजहद को अपनी फिल्मों का केंद्र बनाया था. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘‘दिग्गज फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक बासु चटर्जी के निधन से दुखी हूं. उन्होंने हमें ‘छोटी सी बात’, ‘चितचोर’, ‘रजनीगंधा’, ‘ब्योमकेश बख्शी’, ‘रजनी’ जैसी तमाम शानदार फिल्में दीं. उनके परिवार, दोस्तों, प्रशंसकों और पूरे फिल्म समुदाय के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं.’’
…उनका अंदाज निराला था

फिल्म निर्माता हंसल मेहता ने कहा कि चटर्जी अपने पीछे सिनेमा की महान विरासत छोड़ गए हैं. ‘‘कहानी’’ फिल्म के निर्देशक सुजॉय घोष ने कहा, ‘‘बासु चटर्जी चले गए. मेरे विचार से बहुत कम लोग रोजमर्रा की जिंदगी को उस अंदाज में देख पाते हैं, जैसा कि उन्होंने देखा. उनकी सभी फिल्में आम आदमी के चेहरे पर मुस्कुराहट लाती हैं. मैं उनका बहुत बड़ा प्रशंसक हूं और इसे साबित करने के लिए मैंने ‘कहानी 2’ बनाई.’’
बतौर कार्टूनिस्ट अपने करियर की शुरुआत की थी

चटर्जी ने एक पत्रिका में बतौर कार्टूनिस्ट अपने करियर की शुरुआत की थी लेकिन राज कपूर-वहीदा रहमान अभिनीत ‘तीसरी कसम’’ में बासु भट्टाचार्य के साथ काम करने के बाद अपने करियर की राह बदल ली. ऋषिकेश मुखर्जी के साथ दोनों बासु भट्टाचार्य और बासु चटर्जी ने हिंदी सिनेमा की तिकड़ी बनाई जिनके फिल्मों के मूल्य मध्यम वर्ग और उसके हर दिन के संघर्ष पर टिके थे वो भी ऐसे दौर में जब बॉलीवुड की फिल्मों का ध्यान गुस्से और त्रासदियों वाली कहानियों पर था जिसके अगुवा अमिताभ बच्चन थे.
चटर्जी ने मध्यम वर्ग की कहानियों को जनता तक पहुंचाने के लिए विद्या सिन्हा, अमोल पालेकर और जरीना वहाब जैसे कलाकारों को चुना. उनकी बेहतरीन फिल्मों में ‘‘उस पार’’, ‘‘चितचोर’’, ‘‘पिया का घर’’, ‘‘खट्टा मीठा’’ और ‘‘बातों बातों में’ शुमार हैं. बासु के निधन से एक हफ्ते से भी कम समय पहले गीतकार योगेश गौर का निधन हो गया जिन्होंने चटर्जी की फिल्मों में कई मशहूर गीत लिखे जिनमें ‘‘रजनीगंधा फूल तुम्हारे’’ और ‘‘ना जाने क्यों’’ शामिल हैं. गौर का 29 मई को निधन हो गया था.