राजधानी के आलमबाग मेट्रो स्टेशन के करीब सड़क किनारे एक झोपड़ी में रहने वाली महिला ललिता को हो रही थी प्रसव पीड़ा
लखनऊ. प्रदेश में संचालित 102 एम्बुलेंस रविवार की शाम एक परिवार के लिये वरदान साबित हो गई. राजधानी के आलमबाग मेट्रो स्टेशन के करीब सड़क किनारे एक झोपड़ी में रहने वाली महिला ललिता (30 वर्ष) प्रसव पीड़ा से कराह रही थी. इसी बीच एम्बुलेंस में तैनात ईएमटी और पायलट ने अपनी सूझबूझ से उनकी मदद करते हुये जच्चा-बच्चा का जीवन सुरक्षित करते हुये आलमबाग के चंदरनगर स्थित बाल एवं महिला चिकित्सालय में भर्ती कराया.

इस सम्बंध 102 एम्बुलेंस में कार्यरत ईएमटी अनुराग पटेल और पायलट अनुज यादव ने बताया कि सोमवार की देर शाम वे दोनों 102 एम्बुलेंस से किसी को सेवा देकर लौट रहे थे. इसी बीच आलमबाग मेट्रो स्टेशन के पास सड़क किनारे एक झोपड़ी में रहने वाला परिवार एम्बुलेंस देखकर उन्हें मदद के लिये रोकने लगा. इसके बाद महिला के पति रमेश चंद्र ने उन दोनों से कहा कि उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा हो रही है. वह उन्हें सरकारी अस्पताल तक पहुंचा दे. ईएमटी अनुराग ने बताया कि इसके बाद हम महिला के पास पहुंचे मगर बच्चे का जन्म होने वाला था. ऐसे समय में मरीजों को राहत देने के लिये हमें प्रशिक्षण दिया गया होता है. हमने बच्चे का सुरक्षित प्रसव कराने के बाद जच्चा-बच्चा दोनों को आलमबाग के चंदरनगर स्थित बाल एवं महिला चिकित्सालय में भर्ती कराया. जहां डॉक्टर ने ईएमटी और पायलट की तारीफ की.
वहीं, इस बारे में पूछने पर बच्चे के पिता रमेश ने बताया कि रक्षाबंधन का दिन था. रोज की तरह आने-जाने का साधन नहीं दिख रहा था. इस बीच 102 एम्बुलेंस की आवाज़ सुनकर वह मदद के लिये घर से बाहर निकले. उन्होंने 102 एम्बुलेंस सेवा सहित ईएमटी और पायलट दोनों की तारीफ की. एम्बुलेंस सेवा प्रदाता संस्था के रीजनल मैनेजर इंद्रजीत सिंह में बताया कि 102 सेवा पूरी तरह से निःशुल्क है और महिलाओं व 2 साल तक के बच्चों को घर से अस्पताल व अस्पताल से वापस घर भी ले जाती है. एम्बुलेंस में आकस्मिक स्थिति के लिए एम्बुलेंस में डिलीवरी किट होती है और एम्बुलेंस स्टाफ इसके लिए प्रशिक्षित होते हैं.