हाल के दिनों में नेशनल अवॉर्ड को लेकर पक्षपात और न जाने किस तरह के आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं. कहने वाले कह भी रहे हैं कि ऐसी-ऐसी फिल्मों को नेशनल अवॉर्ड (National Film Awards) दिया जा रहा है कि उन्हें पुरस्कार देने और न देने का कोई अर्थ ही नहीं रह गया है. मगर लोगों की ऐसी सोच को दरकिनार करके इन नेशनल अवॉर्डी मूवीज को देखना जरूरी लगा. अब क्यों, वह आप इस लेख को पढ़कर समझ सकते हैं.

मैंने करीब सालभर पहले एक इंटरव्यू में तमिल भाषा की फिल्म ‘परूथिवीरन’ का जिक्र सुना था. ‘परूथिवीरन’ का शाब्दिक अर्थ होता है ‘मेरी आवारगी’. फेमिली मैन वेब सीरीज में अपनी अदाकारी और खूबसूरती से सबको अपने मोहपाश में बांधने वालीं अदाकारा प्रियामणि को इसमें बेहतरीन अदायगी के लिये वर्ष 2007 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का नेशनल अवॉर्ड (राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार) दिया गया था. कई दिनों से सोचता ही रह गया कि अब देखूंगा तब देखूंगा. इसी कड़ी में इस फिल्म को देखने में अब सफल हो सका. नेशनल अवॉर्ड को लेकर भ्रांतियां तो सुनता और पढ़ता ही रहता हूं. मगर इस फिल्म ने अन्य ऐसी ही फिल्म जो नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित की जा चुकी हैं, उन्हें देखने की ललक पैदा कर दी. यहां पर यह बताना जरूरी है कि फिल्म ‘परूथिवीरन’ का अंत सोच से एकदम परे है. भौचक कर देने वाला. कहानी का अंत और अदाकारी उच्चतम गुणवत्ता से लबरेज हैं.
अब सवाल यह था कि देश के सर्वश्रेष्ठ फिल्म पुरस्कार में शुमार नेशनल अवॉर्ड को वर्ष 1953 से दिया जा रहा है. यह सबसे पहले मराठी भाषा की ‘श्यामची आई’ फिल्म को हासिल हुआ था. इसके प्रोड्यूसर एवं डायरेक्टर थे प्रहलाद केशल आत्रे. वहीं, इस नामचीन फिल्मी पुरस्कार से सम्मानित की गई अंतिम फिल्म का नाम है ‘मरक्कर : लॉयन ऑफ द अरैबियन सी’. यह फिल्म साल 2019 में आई थी. संभवत: उसके बाद चीन से कथित रूप से कूदता हुआ कोरोना वायरस आया और सारी दुनिया के पहिये थम गये. इस पुरस्कार की सूची भी तबसे स्थिर है.
खैर, मन में देश की विभिन्न भाषाओं की फिल्मों में से छांटकर दी जाने इस सम्मानिका से सम्मानित सभी मूवीज को देखने की इच्छा प्रबल हो चुकी थी. अब मैंने इस फ़ेहरिस्त को खंलाकर उसे समयबद्ध करने की तैयारी में हूं. इसी क्रम में मुझे पता चला कि साल 2018 में गुजराती भाषा की ‘हिल्लारो’ फिल्म को भी इस नामी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. अब इस फिल्म को देखने के लिये यूट्यूब खंगालने लगा. बड़ी आसानी से इसका ट्रेलर मिल गया. ट्रेलर देखा तो कहानी का कुछ पता चल गया. कहानी का पता करने के दौरान ही संगीत सुनने का अवसर मिल गया. भांपने में देरी न हुई कि कहानी जितनी रोचक है, उतना ही कर्णप्रिय इसका संगीत है. अब इसे देखने की योजना है. आजकल में निपटा दूंगा. सूची की अन्य फिल्मों के बारे में भी योजना बनाऊंगा. जल्द निपटाऊंगा. आप भी देखिये और दिलचस्पी के लुत्फ उठाइये कलाकारियों का. कलाकारी कहानी की, अदाकारी की, निर्देशन की, संगीत की और ऐसे ही अन्य क्रांतिकारी विचारों की.
अंत में एक टार्गेट और बन गया है लेख लिखते-लिखते कि जल्द ही विश्व की अन्य भाषाओं में बनने वाली और विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित होने वाली फिल्मों को भी देखूंगा. आपको भी सलाह दूंगा कि जब समय मिले तो हर तरह की फिल्में देखें. देश की सीमाओं को पार करना यूं तो आसान नहीं है मगर वहां की संस्कृति और सोच को समझने और देखने का यह सबसे कारगर तरीका है.