कार्यक्रम के दौरान उन्होंने इस्तीफे का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि मैं हमेशा अग्निपरीक्षा से गुजरा हूं…
बंगलुरू (एजेंसियां). कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को सीएम पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा कि लंच के बाद मैं गवर्नर से मिलूंगा और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दूंगा. राज्य में आज ही भाजपा सरकार के दो साल पूरे हुए हैं. इसी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने इस्तीफे का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा कि मैं हमेशा अग्निपरीक्षा से गुजरा हूं.

येदियुरप्पा की लिंगायत समुदाय पर मजबूत पकड़ है. ऐसे में उनके इस्तीफे के बाद भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस समुदाय का साधने की होगी. बीते दिन ही विभिन्न लिंगायत मठों के 100 से अधिक संतों ने येदियुरप्पा से मुलाकात कर उन्हें समर्थन की पेशकश की थी. संतों ने भाजपा को चेतावनी दी थी कि अगर उन्हें हटाया गया, तो परिणाम भुगतने होंगे.
इससे पहले येदियुरप्पा ने 16 जुलाई को दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. अचानक हुई इस मुलाकात ने येदियुरप्पा के इस्तीफे की अटकलों को हवा दे दी थी. इसके बाद उन्होंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी.
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय 17 फीसदी के आसपास है. राज्य की 224 विधानसभा सीटों में से तकरीबन 90-100 सीटों पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव है. राज्य की तकरीबन आधी आबादी पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव है. ऐसे में भाजपा के लिए येदि को हटाना आसान नहीं होगा. उनको हटाने का मतलब इस समुदाय के वोटों को खोना होगा.
बीएस येदियुरप्पा को लेकर दो तरह की बातें कही जा रही थीं. पहली कि उन्हें इस्तीफे के लिए पार्टी आलाकमान ने मना लिया है. और दूसरी कि भले ही येदियुरप्पा इस्तीफे के लिए मान गए हों, लेकिन शायद वो अपने फैसले पर न टिके रहें क्योंकि इधर येदियुरप्पा ने कुछ अहम बयान दिए हैं. जैसे- वो पार्टी संगठन को मजबूत कर अगले चुनाव में बीजेपी को एकबार फिर जीत दिलाना चाहते हैं. यानी उनकी नजर प्रदेश पार्टी अध्यक्ष पद पर है, जिसे फिलहाल नलिन कटील संभाल रहे हैं.