कोविड संक्रमण के इलाज में प्लाज्मा पद्धति को अहम माना जा रहा है. सोशल मीडिया पर इस संबंध में लोग मदद भी मांग रहे हैं. मगर हर कोई कोरोना संक्रमित के लिये प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकता. इसके लिये कुछ मानक बनाये गए हैं. इस बारे में उत्तर प्रदेश की राजधानी स्थित केजीएमयू ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन डिपार्टमेंट की हेड एवं प्रोफेसर डॉ. तुलिका चंद्रा ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से विस्तार से जानकारी साझा की है. वर्तमान समय में उन मानकों को विस्तार से जानना हम सबके लिये आवश्यक है…
प्लाज्मा देने वाले के पास आरटीपीसीआर रिपोर्ट या एंटीजन रिपोर्ट का होना जरूरी है. कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट के बाद उसने 14 दिनों के बाद आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट हासिल कर ली हो. यह सबसे अहम है, कोरोना संक्रमित होने के बाद से लेकर निगेटिव होने सहित प्लाज्मा डोनेट करते समय उसे चार माह से ऊपर का समय न गुजरा हो. उसकी उम्र 18 से 60 वर्ष के मध्य होनी चाहिये. वजन 50 किलोग्राम से नीचे नहीं होना चाहिये. डोनर को डायबिटीज या हायपरटेंशन नहीं होनी चाहिये. इसके अलावा थायरॉयड, अस्थमा या मिर्गी का रोग भी नहीं होना चाहिये. 18 से 60 वर्ष के मध्य के बीच की महिला जो प्लाज्मा डोनेट करना चाहती है उसने बच्चे को जन्म न दिया हो. कोविड वैक्सीन लगवाये हुये डोनर को 28 दिन पूरे हो चुके होने चाहिये. प्लाज्मा डोनेट करने से पूर्व डोनर का हीमोग्लोबिन, जनरल हेल्थ, ट्रांसफ्यूजन ट्रांसमिटेड डिजीज और कोविड एंटीबॉडी की जांच की जाती है. इन जांचों में कोई खामी न मिलने पर ही उसे प्लाज्मा स्वीकार किया जाता है. हर ब्लड ग्रुप का इंसान प्लाज्मा डोनेट कर सकता है.
उत्तर प्रदेश की राजधानी स्थित केजीएमयू की शताब्दी फेस-2 के फर्स्ट फ्लोर पर स्थित ब्लड बैंक में जाकर इच्छुक लोग प्लाज्मा का दान करके कोरोना से जूझ रहे मरीजों के जीवन की रक्षा कर सकते हैं. सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक हर दिन यह कार्यालय खुला रहता है. मेडिकल कॉलेज ने प्लाज्मा डोनेट करने वालों को कोरोना का इलाज करने में मदद करने की अपील की है.